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Post by rentme4nite on Apr 7, 2019 0:02:20 GMT 5.5
yaha me apbe tantrik jiwan ki rahsyamayi yatra or anubhav saaza karne ki anumati chahta hu
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Post by Trial_Baba on Apr 7, 2019 0:27:38 GMT 5.5
Congrats for new thread bhai I hope roz update milega
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Post by rentme4nite on Apr 10, 2019 6:30:54 GMT 5.5
update is ready
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Post by rentme4nite on Apr 10, 2019 6:33:40 GMT 5.5
वर्ष २०१२ भोपाल की एक घटना भादों का महीना था, गर्मी जहां अपना दबदबा क़ायम करने पर तुली थी वहीं नमी ने जीना हराम कर रखा था! बदन पर आये पसीने सूखते ही नहीं थे, पोंछ पोंछ कर त्वचा लाल हो जाती थी लेकिन पसीना जस का तस! कितना भी नहाओ, स्नानागार से बाहर आते ही फिर से नमी से साक्षात्कार होता था! ये समय दिल्ली में सबसे बुरा होता है, न दिन को आराम और न रात को चैन! ऊपर से कीट-पतंगे इतने अधिक कि आपका रास्ता रोक के खड़े हो जाएँ! रात्रि समय और संध्या समय तो उनका ही राज होता है, घरों में घुस घुस कर कोहराम मचाया करते हैं! मैं भी एक ऐसी ही संध्या समय अपने स्थान पर बैठा था, गर्मी तो थी ही, लेकिन किसी तरह बस बात बनाये जा रहा था! तभी मेरे पास शर्मा जी का फ़ोन आया, वे आ रहे थे और सारा सामान उन्होंने ले लिया था, ये बढ़िया बात थी, अपना खा-पी कर सो जाओ और फिर सुबह ही उठो! मैंने अपने सहायक को बुलाया और कुछ बर्तन, गिलास और ठन्डे पानी का इंतज़ाम करने को कहा, वो गया और फिर थोड़ी देर में ही सारा सामान ले आया, और वहीँ रख दिया, इतने में ही शर्मा जी भी आ गए! उनके साथ कोई आगंतुक भी थे, इस समय शर्मा जी उनको यहाँ लाये थे तो इसका अर्थ था कि वो उनके कोई अतिप्रिय ही जानकार हैं! वे आ गए अंदर, नमस्कार हुई और फिर परिचय! जो आये थे उनका नाम कृष्ण गोपाल था, बाद में मैं उनको गोपाल नाम से ही सम्बोधित करूँगा इस घटना में! खैर, हम बैठे और गोपाल जी ने पानी पिया, उसके बाद फिर शर्मा जी ने सारा सामान खोला और मदिरा की दो बोतल निकाल लीं, अब शर्मा जी ने सारा सामान खोल लिया, एक गिलास कम था सो मैंने आवाज़ देकर तीसरा गिलास भी मंगवा लिया, और फिर तीन गिलासों में उन्होंने मदिरा परोस दी, मैंने मदिरा की कुछ बूँदें भूमि पर भोग हेतु गिरा दीं और फिर गिलास उठाकर, मुंह से लगाकर खाली कर दिया, ऐसे ही उन्होंने भी किया! "गुरु जी, ये मेरे अति विशिष्ट जानकार हैं, ये पहले मेरे साथ ही थे, और इनका निवास-स्थान भी मेरे पास ही था, लेकिन फिर ये यहाँ से बदली हो कर भोपाल चले गए, फिर वहाँ गए तो वहीँ के हो कर रह गए! अब इनके दो बेटे हैं, दोनों अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाते हैं, और एक बेटी है इनके, शादी के लायक" वे बोले, ''अच्छा! बड़ी ख़ुशी की बात है!" मैंने कहा, "लेकिन गुरु जी, एक समस्या है, यूँ कहो कि हँसते-खेलते परिवार को नज़र लग गयी है इनके" वे बोले, "कैसे? क्या हुआ?" मैंने पूछा, "गुरु जी, लगा लीजिये, आज करीब छह महीने हो गए, एक दिन ऐसा नहीं आया जिस दिन इस चिंता से बाहर निकला होऊं, एक रात ऐसी नहीं गुजरी कि चैन से सोया हूँ, मेरी पत्नी का भी यही हाल है" अब गोपाल बोले, "क्या बात है?" मैंने पूछा, "गुरु जी, बताता हूँ, बड़े अरमान ले कर आया हूँ आपके पास, कहाँ कहाँ धक्के नहीं खाये, जिसने जो बताया वहीँ गया लेकिन कुछ नहीं हुआ, थोडा आराम पड़ता और फिर से वही कहानी" वे बोले, अब तक दूसरा पैग बन चुका था! सो वो भी खाली किया! "बताइये गोपाल जी?" मैंने जिज्ञासावश पूछा, वे चुप हुए अब, दुःख का सैलाब सा उमड़ा उनके चेहरे पर उस समय, मैं जान गया कि स्थिति बेहद नाज़ुक है, "बताइये मुझे?" मैंने पूछा, "गुरु जी, अभी शर्मा जी ने मेरी बेटी का ज़िक्र किया, समस्या उसी के साथ है, नाम है उसका सौम्या" वे बोले, "क्या समस्या है बेटी के साथ?" मैंने पूछा, "जी मेरी बेटी ने इंजीनियरिंग की है पिछले ही साल पढ़ाई पूरी हुई है उसकी, उसके बाद वो घर पर ही रही, कोई तीन महीने, फिर उसने एक जगह नौकरी की करीब तीन महीने, और उसके बाद उसका स्वास्थय गिरता ही चला गया, हमने बहुत इलाज करवाया उसका, लकिन जैसे दवा ने कोई असर ही नहीं किया, उसका स्वास्थ्य लगातार गिरता ही रहा, आखिर में मेरे एक जानकार हैं, उन्होंने कहा कि कोई ऊपरी चक्कर न हो, सो वहाँ भी ले गए उसको, कोई कुछ कहे और कोई कुछ, लेकिन असर कोई नहीं, तब जाकर एक बाबा मिले, बुज़ुर्ग थे, उन्होंने बताया कि इस लड़की पर कोई बहुत ताक़तवर चीज़ या शय आसक्त है और वो इसको लेके जाना चाहता है, ये सुनकर हम तो सिहर गए, डर गए गुरु जी, हमने उन बाबा के पाँव पकड़ लिए कि हमारी बेटी को कैसे भी करके बचा लो तो उन्होंने कहा कि वो देख्नेगे कि मामला कहाँ तक है और क्या किया जा सकता है, उसके बाद उन्होंने लड़की के गले में एक धागा बाँध दिया और घर भेज दिया वापिस, हम घर आ गए उसको लेके" वो बोले, "अच्छा, फिर क्या हुआ?" मैंने पूछा, "इसके बाद उन्होंने हमको तीन दिन बाद बुलाया, हम भी गए, उन्होंने कुछ पूजा-पाठ किया, और फिर उसको कुछ खिलाया, शायद कुछ मीठा था" वे बोले, "अच्छा, फिर?" मैंने पूछा, अगला पैग डाला गया, हमने वो भी खींच लिया, "गुरु जी, उन्होंने हमको तीन बार बुलाया, और सच में फायदा हुआ, लड़की ठीक होने लगी, खाना-पीना सुधर गया उसका, हमको भी तसल्ली हुई,
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Post by Trial_Baba on Apr 10, 2019 6:58:05 GMT 5.5
Bhai hinglish ma do hindi nhi ati
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Post by gaurav awasthi on May 2, 2019 15:09:05 GMT 5.5
aap hai kaun ye id hamare guru ji ki hai aapki himat kaise hui ye sab copyrite hai ab beta tum jail jaoge
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Post by Maneesh on May 2, 2019 15:15:26 GMT 5.5
आदरणीय आपका परिचय प्रदान करेंगे ।
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Post by 3048mohan on May 2, 2019 15:23:01 GMT 5.5
aage ka copy nhi hua kya jo itna likh k chod diya ya tum sb k sb aise hi chir uchko ki tarah lge rhte kma k khalo
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Post by 3048mohan on May 2, 2019 15:24:13 GMT 5.5
yaha me apbe tantrik jiwan ki rahsyamayi yatra or anubhav saaza karne ki anumati chahta hu anubhav ghnta jhut bolna m jaya mja aata tum sb k sb xossip wale ho lgta
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Post by Maneesh on May 2, 2019 15:28:26 GMT 5.5
आप ओरिजनल है तो नया माल डालो नन्दराम वाला बोड़ा बाबा वालाये बरसो पुराना बासी कचरा क्यो उगल रहेहो 150 से आगे के डालो फिर बताता हूं कॉपीराइट का कमाल
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