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Jul 18, 2020 0:54:09 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 18, 2020 0:54:09 GMT 5.5
Update 4
घर आने के कुछ दिनों के बाद 1 दिन ब्रेकफास्ट के समय सूरज- पापा मुझे कुछ दिनों के लिए हिमाचल प्रांत घूमना है। संजय -ठीक है तुम अपने भैया के साथ चले जाओ। देव-मुझे माफ करिएगा लेकिन मुझे बिजनेस के कुछ काम के लिए बाहर जाना है। सूरज -मैं अब बच्चा नहीं हूं मैं अकेले भी जा सकता हूं । संजय-ठीक है चले जाना वैसे कब तक जाना है। सूरज- बस कल ही निकलना है। संजय और देव-ठीक है अच्छे से जाना।
दूसरे दिन सूरज तैयार होकर हिमाचल प्रांत के लिए अपने घर से निकल जाता है ,लेकिन उसे राधा के घर तक जाने के लिए 4 किलोमीटर का दूरी पैदल चलना पड़ता है। रास्ते में उसे एक युवक पहाड़ पर लटका हुआ दिखाई देता है तो वह उसे बचाता है।
युवक - शुक्रिया जो तुमने मेरी सहायता की, वैसे मैंने तुम्हें यहां पहले कभी नहीं देखा? सूरज-मैं यहां नया हूं वैसे आप कौन हैं। युवक-मैं इस प्रांत के राजा विजय सिंह का बेटा देवा सिंह। सूरज- आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई वैसे मुझे भी वही जाना है क्या आप मुझे वहां तक छोड़ सकते हैं? देवा- हां हां क्यों नहीं ।वैसे आप वहां का किसके यहां रुके हैं ? सूरज- मैं वहां घूमने जा रहा हूं और वही किसी होटल में रुक जाऊंगा। देवा -आप परेशान मत होइए आप हमारे साथ हमारे राजमहल में ही रुक जाइएगा। उसके उसके बाद देवा और सूरज राजमहल की ओर निकल जाते हैं। देवा ने सूरज का परिचय अपने पिता से करवाया और उसे राजमहल में रुकने के लिए एक कमरा दिया। सूरज कॉल कर राधा को मिलने के लिए एक बगीचे में बुलाता है। राधा- मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी क्या तुम्हें मेरी याद नहीं आती थी। सूरज-मैंने इतने दिन तुम्हारे बिना कैसे बिताएं यह मुझे नहीं पता है। इसी तरह प्यार भरी बातों में दिन बीतने लगते हैं,और राज दरबार में सूरज को भी एक स्थान प्राप्त होता है क्योंकि उसने होने वाले महाराज की जान बचाई थी। एक दिन सेनापति रतन सिंह जब सूरज से मिलने के लिए के लिए उसके कमरे में जाता है तो उसे सूरज के हाथ पर एक त्रिशूल का निशान दिखाई देता है वह सूरज से इस निशान के बारे में पूछता है।
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Jul 19, 2020 4:03:38 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 19, 2020 4:03:38 GMT 5.5
Update 5(A)
भविष्य की कुछ झलक पहली झलक-राज सिंहासन पर विजय बैठा हुआ है और मैदान में एक खूनी दंगल चल रहा है ।जहां दो पहलवान आपस में युद्ध कर उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि वे एक दूसरे की जान लेकर मानेगे। इस परिस्थिति में विजय के चेहरे पर एक रहस्यमई मुस्कान दिख रही है। ध्यान से देखने पर पता चलता है की उसमें से एक पहलवान करण है तो वही दूसरा देव।
कुछ समय बाद
दूसरी झलक-जहां थोड़ी देर पहले करण और देव का युद्ध चल रहा था वही करण और अर्जुन का युद्ध चल रहा है वही मैदान के बाहर सेनापति परेशान है कि यह हो क्या रहा क्योंकि करण और अर्जुन दोनों भाई है।
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Jul 19, 2020 4:08:34 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 19, 2020 4:08:34 GMT 5.5
Update 5( Small flaflashback- सूरज जब देवा की जान बचाता है तो देवा उसका बहुत धन्यवाद करता है और महल आने के बीच रास्ते में उसकी और सूरज की बहुत गहरी दोस्ती हो जाती है। वहां जाने के बाद वह उसे अपने कमरे में लेकर जाता है। वहीं दूसरी तरफ राज दरबार में एक सैनिक भागा जाता है जो देवा के साथ वन में गया था। महाराज (विजय)-तुमने राज दरबार में आने की गलती कैसे की। सैनिक-माफी महाराज लेकिन युवराज देवा वन में कहीं लापता हो गए उन्हें आखिरी बार पर्वत से गिरते हुए देखा गया था। महाराज-नहीं मेरी बेटे को कुछ नहीं हो सकता और और अगले ही पल उस सैनिक का सर धड़ से अलग था, साथ महाराज का तलवार खून से भीगा हुआ था। उसी समय एक दूसरा सैनिक भागा -भागा दरबार में आता है। महाराज-अब तुम क्यों आए हो? सैनिक -महाराज युवराज अभी -अभी राजभवन में हैं। और और उसके बाद राजा देवा से मिलने उसके कमरे की ओर चले जाते हैं। जहां देवा उनकी की मुलाकात सूरज से करवाता और महाराज सुरेश का बहुत-बहुत शुक्रिया करते है। वही थोड़ी देर पहले जब देवा और सूरज राजभवन आ रहे थे तो राधा सूरज को देखती है और बहुत खुश हो जाती है लेकिन जब सूरज के साथ देवा को देखती है तो उसके मन में अलग-अलग प्रकार के ख्याल आने लगते हैं। उस समय राधा के साथ दिव्या और निशा भी थे। निशा-यह देवा किसके साथ है दिव्या-दीदी हम उससे क्या वह किसी के साथ हैं निशा-जो भी है पर वह अच्छा इंसान लग रहा है और इस दुष्ट देवा के साथ यह कुछ समझ नहीं आया। कुछ दिनों बाद सूरज का परिचय सेनापति से होता है। सेनापति और सूरज की सोच काफी हद तक एक हि थी जिससे कारण उन दोनों के बीच में दोस्ती भी हो जाता है। पर एक दिन जब सेनापति सूरज के कमरे में जाते हैं तो उसे त्रिशूल का निशान दिखाई पड़ता है
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Jul 23, 2020 8:50:54 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 23, 2020 8:50:54 GMT 5.5
Update 6(a)
अब तक आपने देखा सूरज राज दरबार में एक स्थान प्राप्त करता है और वही सेनापति सूरज के हाथ पर त्रिशूल का निशान देखते हैं अब आगे सेनापति-(अपने मन में) यह निशान तो उसके जैसा नहीं है यार थोड़ा अलग लग रहा है मुझे इसके बारे में से बात करनी चाहिए। सेनापति सूरज से -यह निशान तुम्हारे हाथ पर कैसे आएगा सूरज - यह तो बचपन से ही है मैंने मैंने मेरी और मेरे भाई के हाथ पर ऐसा ही निशान बनवाया था। सेनापति -तुम्हारे भाई के हाथ पर के निशान का फोटो है सूरज -अपने पास से निकाल कर एक फोटो सेनापति को दिखाता है। सेनापति-(अपने मन में) यह ठीक वैसा ही निशान है। सेनापति सूरज से-मुझे तुम्हारे भाई से मिलना है। उसी उसी दिन सेनापति और सूरज देव के पास आ जाते हैं देव और सेनापति में कुछ बातचीत होती है जिसे जिसे देव के चेहरे का रंग धीरे-धीरे बदलते लगता है कभी गुस्सा कभी हैरानी कभी उदास। सेनापति देव को अपने साथ चलने के लिए कहता है देव -आप लोग जाइए मैं कुछ दिन बाद आऊंगा। दूसरे दिन सेनापति और सूरत वापस महल की ओर चले जाते हैं। इधर जबसे देव और सेनापति के बीच बात हुई है देव थोड़ा परेशान रहने लगता है और 1 दिन कुछ सोच कर आगे का प्लान बनाता है जिसमें उसे अपने एक दोस्त राज को शामिल करना था। कुछ दिनों के बाद उसी शहर में दूसरे जगह- राज अपने सामानों की पैकिंग कर रहा था उसे देव ने कुछ काम दिया था जिसके कारण उसे सूरज के पास जाना था।
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Jul 28, 2020 10:41:38 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 28, 2020 10:41:38 GMT 5.5
Update 6 ( अबअब तक आपने देखा कि सेनापति और देव के बीच कुछ बात होती है जिससे दे परेशान हो जाता है और वह इसे निकालने के लिए एक अपने को दोस्त राज से मदद मांगता है। और राज उसकी मदद करने के लिए सूरज के पास जाने के लिए तैयार होता है। अब आगे जब जब रात सूरज के पास जा रहा था तो रास्ते में उसका एक दुर्घटना हो जाता है जिसके कारण उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता है जहां उसका इलाज एक लेडीस डॉक्टर करें एक लेडी डॉक्टर कर रही थी। इलाजइलाज के दौरान राज को डॉक्टर से प्यार हो जाता है और वह अपने दिल की बात अब तक को बता नहीं पा रहा था। भोजन के बाद डॉक्टर छुट्टी पर अपने घर चली जाती है जिस कारण राजेश डॉक्टर से दोबारा मिल नहीं पाता लेकिन स्टाफ से पता करने पर उसे यह जानकारी मिलती है कि कि वह भी हिमाचल प्रदेश के 1 राज्य में रहती है राज को यह जानकर बहुत खुशी होता है वह वह जहां जा रहा है वहीं पर वह डॉक्टर रहती है और जब राज लोगों से पता करता है तो उसे पता चलता है कुछ डॉक्टर का नाम दिव्या सिंह था। 1 सप्ताह हॉस्पिटल में रहने के बाद राज सूरज से मिलने के लिए निकल पड़ता है। जब जब वह राजमहल पहुंचता है तो सूरज उसकी पहचान देवा से करवाता है । चुकी वह राज्य का दोस्त था इसलिए उसे भी राज दरबार में बहुत सम्मान मिलता है। राज राजभवन में कभी-कभी दिव्या को भी देखता था लेकिन दिव्या उससे कभी कोई बात नहीं करती जब वह पता करता है तो उसे पता चलता है की दिव्या का शादी बचपन में ही तय हो गया था और वह उसी को अपना पति मान ली थी। राज बहुत उदास हो गया था क्योंकि इसका पहला पैरों से मिल नहीं पाएगा। इसी बीच राजदेव द्वारा दिए हुए कार्य को भी पूरा करने लगता है और वह 1 दिन सेनापति के मदरसे राज दरबार के सभी भरोसेमंद लोगों का एक बैठक अपने कमरे में बुलाता है और उसे कुछ बात करता है जिस से पहले तो राज दरबार के लोग थोड़े परेशान होगा लेकिन बाद में वह उसकी बात मान लेते हैं और उसका साथ देने के लिए तैयार हो जाते हैं पिछलेे दिनों मेरी परीक्षा का कारण मै अपडेट नहीं दे पाया लेकिन आप डेट रेगुलर आएगा और अपडेट का टाइम शाम के 4:00 से 6:00 के बीच होगा।
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Jul 28, 2020 10:42:27 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 28, 2020 10:42:27 GMT 5.5
आगे आने वाले अपडेट में आप जानेंगे 1 सेनापति निशान को देखकर परेशान क्यों हो जाते हैं 2 सेनापति और देव के बीच क्या बातचीत हुई थी 3 देव राज से क्या मदद मांगता है 4 राज अपने कमरे में बैठक कर क्या बात के लिए राज दरबारियों को मनाता है।
मेरी मेरी स्टोरीज शॉर्ट स्टोरी है जिस कारण यह 10 से 20 अपडेट में खत्म हो जाएगी धन्यवाद
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Jul 28, 2020 16:31:08 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 28, 2020 16:31:08 GMT 5.5
Update 7
वहीं दूसरी तरफ देव सेनापति के द्वारा बताएं बातों को सोच रहा था। Flace back हिमाचल प्रांत के एक राज्य जहां का राजा विक्रम सिंह का वह दोनों बेटे और बेटी के साथ बहुत खुश था। उसका बड़ा बेटा अजय सिंह जो अपने पिता की तरह था राज भवन में रहकर राज भवन के सभी कार्य में मदद किया करता था तथा समस्या पड़ने पर महाराज की मदद करता था। उसने अपने भाई-बहन की शिक्षा के लिए उसे शहर भेज दिया था जहां पर विजय सिंह और सुमन सिंह जाकर पढ़ाई करते थे। पढ़ाई के समय ही विजय सिंह को संजना नाम की लड़की से प्यार हो गया और सुमन सिंह को संजय चौहान से प्यार हो गया दोनों दोनों भाई बहन जानते थे कि उनका रिश्ता परिवार वाला कभी स्वीकार नहीं करेगा जिस कारण उन्होंने शहर में ही अपनी अपनी शादी कर ली एक बार महाराज ने अपने बेटे-बेटी को घर बुलाया। जब वह घर पहुंचे तो मैंने देखा कि घर पर शादी का माहौल है उन्होंने सेना पेट स पता किया तो पता चला कि उनके बड़े भाई अजय सिंह का विवाह पड़ोसी राज्य की राजकुमारी शिवानी सिंह से होने वाली है।उन्होंने अपने भाई को बहुत शुभकामनाएं दी ऐसे ही अजय और शिवानी का विवाह हो गया विवाह के कुछ दिनों के बाद महाराज ने विजय और सुमन को शादी पर विचार करने के लिए कहा जिस पर उन्होंने कहा कि वह शहर मैं किसी से प्यार करते हैं जिसमें महाराज बहुत गुस्सा होगा और उन्होंने उन दोनों के बहुत पिटाई की और उन्हें घर से निकलने के लिए कहा जिस कारण विजय और सुमन अपने राज्य को छोड़कर वापस शहर आ गए। सुमन और संजय अपनी पढ़ाई खत्म कर दूसरे शहर अवध (जहां उनका किसी से कोई रिश्ता नहीं था) जाकर बस गए। वही विजय सिंह संजना के साथ पढ़ाई पूरा कर उसी शहर में बस गया। इधर इधर राजभवन में शिवानी सिंह ने एक बालक को जन्म दिया जिसका नाम महाराज ने करण रखा। इस खुशी के अवसर पर महाराज भी बहुत खुश हुआ जिस कारण उन्होंने सेनापति को कह कर विजय और सुमन को ढूंढने के लिए भेजें । सेनापति ने उन्हें बताया कि विजय उसी शहर में रहता है लेकिन राजकुमारी सुमन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। महाराज ने अपने बेटे को वापस राजभवन ने बुलाया करण जन्म समारोह मैं सभी परिवार फिर से करते होगे शिवाय सुमन के। कुछ दिनों बाद महाराज ने अजय सिंह को राज्य का नया महाराज नियुक्त किया। वही अजय सिंह ने अपने दोस्त रतन सिंह को सेनापति बना कर दिया।
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Jul 28, 2020 16:32:15 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Jul 28, 2020 16:32:15 GMT 5.5
Update 8
Flash back दूसरी तरफ जब महाराज ने विजय सिंह को घर से निकाला विजय सिंह के अंदर एक गुस्सा भर गया लेकिन उसने इसे उजागर नहीं किया वह अपने एक दोस्त पवन सिंह का अपनी सारी बातें बताता था पवन सिंह दिल का बुरा नहीं था लेकिन वह हमेशा विजय की मदद करता था जिस कारण कभी-कभी उसे कुछ बुरे कामों में भी विजय की मदद करनी पड़ती थी। जब उसे दुबारा राजभवन ने बुलाया क्या तो वह अपने दोस्त पवन को लेकर राजमहल गया साथ ही उसकी पत्नी संजना सिंह भी थी। विजय अपने राज्य काल महाराज होने का सपना देखता था लेकिन जब महाराज ने अजय को नया महाराज नियुक्त किया तो उसके मन में अजय के खिलाफ बहुत गुस्सा भर गया । करण के जन्म लेने की 1 साल बाद संजना ने देवा को जन्मदिन लेकिन देवा की जन्म में कोई विशेष समारोह नहीं हुआ। कहते हैं समय किसी के लिए नहीं रुकता है यहां भी ऐसा ही हुआ समय अपनी रफ्तार से बढ़ता गया । देवा के जन्म के कुछ दिनों के बाद ही पूर्व महाराज विक्रम सिंह की मृत्यु हो गई। देवा के जन्म के 2 साल बाद शिवानी फिर गर्भवती हुई। इस बार उन्होंने एक बालक को जन्म दिया जिसका नाम अर्जुन रखा गया कुछ दिनों बाद अर्जुन का जन्म समारोह होने वाला था लेकिन किसी को पता नहीं था कि इस समारोह में क्या क्या होने वाला है। कुछ लोगों ने बहुत अच्छा सोचा था तो कुछ लोगों बहुत बुरी प्लानिंग कर रहे हैं
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Aug 8, 2020 10:45:48 GMT 5.5
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Post by DAIVIK-RAJ on Aug 8, 2020 10:45:48 GMT 5.5
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May 16, 2023 15:28:50 GMT 5.5
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Post by J on May 16, 2023 15:28:50 GMT 5.5
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