haddi
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Post by haddi on Mar 19, 2018 21:12:20 GMT 5.5
“ओये रोहित….चल तुझे राजन भाई बुला रहे है…” रोहित अपने 3र्ड फ्लोर पर बनी हुई बरसाती से निकल कर बाहर आया और गली मे खड़े हुए राजू को देखा और रुकने का इशारा किया..थोड़ी देर मे ही दोनो राजू की बाईक पर बैठकर राजन भाई के पास जा रहे थे.
रोहित , राजन भाई का खास आदमी था,उनके कहने पर वो हर वो ग़ैरक़ानूनी काम कर देता था जिसके बदले उसे पैसे मिलते थे. लेकिन वो ये सब करने के लिए मुंबई नही आया था..कितने दिनों तक नौकरी के लिए ठोकरे खाने के बाद राजन भाई ने उसको सहारा दिया और वो कब गैर क़ानूनी कामो मे उलझता चला गया उसको भी पता नही चला..
“ओये रुक…थोडा रुक जा…” रोहित ने राजू को बाईक रोकने का इशारा किया ..वो एक स्कूल के पास थे ..
राजू ने कहा “अरे..लगता है तेरी छमिया के स्कूल से निकलने का टाइम हो गया है …है ना..”
“आबे चुप कर साले …कितनी बार बोला है,उसके बारे मे ऐसा वैसा मत बोला कर..” रोहित ने उसको घूर कर देखा और गुर्राते हुए कहा, राजू उसके रवैयए को देखकर चुप हो गया. थोड़ी देर मे ही स्कूल की घंटी बाजी और सभी स्टूडेंट्स बाहर निकालने लगे..
और आख़िर रोहित की नज़रों ने उसको देख ही लिया..
सफेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट मे ज्योत्सना बाहर निकल रही थी..अपनी सहेलियो से घिरी हुई, लंबे बॉल,हंसता हुआ चेहरा..अल्हड़पन..मासूमियत..नशीली आँखे..सभी कुछ तो था उसके पास, जिसे देखकर वो उसपर मन ही मन मरता था, पर उसकी कभी हिम्मत नही हुई थी उसके पास जाकर बोलने की और कहने की.
और ऐसा नही था की ज्योत्सना ये बात नही जानती थी, 12वी मे पड़ने वाली ज्योत्स्ना को अपनी आती हुई जवानी का अंदाज़ा था और उसके आगे पीछे घूमने वालो का भी , स्कूल मे भी और गली मे भी.. पर वो बस अपने हुस्न को दिखा कर अपना काम निकलवा लेती थी और अपने गेंग की लीडर होने की वजह से उसकी सहेलिया भी उसकी इस आदत को बड़ावा देती थी.
“अरे ज्योत्सना ..वो देख …तेरा आशिक़ आवारा...हा हा..” ज्योत्सना की सहेली मनीषा ने रोहित को देखते ही उसको छेड़ने की नीयत से कहा.
ज्योत्सना ने रोहित को देखा और मंद ही मंद मुस्कुराइ…आज 6 महीने हो चुके थे और कोई भी ऐसा दिन नही था जब रोहित उसको देखने के लिए उसके स्कूल के बाहर ना खड़ा हो..वैसे रोहित देखने मे बुरा नही था..पर जिस तरहा के धंधे मे वो था, उसका पहनावा और हुलिया देखकर कोई भी उसको गुंडा समझ सकता था.वैसे उसने अपने शहर से ग्रॅजुयेशन पूरी की थी.
और हमेशा की तरहा ज्योत्सना का गेंग उसके बाजू से होता हुआ बस स्टॅंड की तरफ चला गया ..और रोहित और राजू राजन भाई के अड्डे की तरफ चल दिए.
“इतनी देर क्यो हुई…?” राजन भाई का इतने गुस्से वाला रूप आज तक रोहित ने नही देखा था..
“जी..जी वो बस..” वो हकला कर रह गया…सोच ही नही पाया की क्या बोले..और तभी राजू बोल पड़ा “राजन भाई..वो इसकी आइटम है ना स्कूल मे..उसको देखने के वास्ते खड़ा हो गया था स्कूल के बाहर…
रोहित का मन तो किया की राजू का मुँह तोड़ दे …पर वो चुप रह गया.
राजन भाई का चेहरा ये बात सुनते ही गंभीर हो गया, वो बोले “ओये ..रोहित ..ये क्या सुन रहा हू मैं ..तू ये लड़की बाजी के चक्कर मे कब से पड़ गया ..ये सब हमारे धंधे मे नही चलता..समझ रहा है ना ..”
रोहित ने हा मे सिर हिलाया, कुछ ना बोला
राजन भाई ने उसके सिर पे हाथ फेरा और प्यार से समझाया “देख बेटा, ये हमारी दुनिया अलग है, यहाँ प्यार-मोहब्बत के लिए कोई जगह नही है..इन सब बन्धनों मे एक बार तुम फँस गये तो कुछ नही कर पाओगे..धक्के खाना फिर सड़को पे, जीने के लिए कुछ और करना..”
रोहित ने ज़्यादा कुछ ना और उनकी बात सुनता रहा.
अंत मे राजन भाई ने उस से कहा “ अच्छा सुन, एक काम आया है, मुंबई मे एक गोल्ड का कंटेनर आने वाला है, समुंदरी रास्ते से, तू अपने हिसाब से उसको निकाल कर अपने अंधेरी वाले गोडोउन मे पहुँचा देना ..समझा ..मामू गेंग के आदमियो से बचा कर करना ये काम..बाकी बाते तुझे ये राजू समझा देगा ..और सुन ले, ये लड़की वाली बात मुझे दोबारा नही सुननि ..समझा ..”
और फिर राजन भाई ने उन्हे जाने के लिए कह दिया.
मामू गेंग और राजन भाई के गेंग के बीच पुरानी दुश्मनी थी..शुरुवती दीनो मे हुए खून ख़राबे के बाद दोनो ने बैठ कर ये डिसाइड किया था की कोई भी एक दूसरे के इलाक़े मे और काम मे दखल नही देगा..पर दुश्मनी अभी भी बरकरार थी.
बाहर निकलते ही रोहित ने राजू की तरफ नफ़रत भरी नज़रों से देखा और कहा “आज तूने सही नही किया राजू…”
राजू “ अर्रे…तू रोज ही अपना टाइम उस लड़की की वजह से खराब करता है..मेरे समझाने का तो तुझपर कोई असर होने से रहा, इसलिए मैने आज राजन भाई के सामने ये बात बोली, वरना मुझे क्या , तू जो भी करे, पर मुझे पता है,तुझे उस लड़की से प्यार हो गया है, और राजन भाई सही बोलते है, ये प्यार-व्यार का चक्कर बेकार है,कहीं का नही छोड़ेगा ये तुझे ..”
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haddi
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Post by haddi on Mar 19, 2018 21:13:13 GMT 5.5
रोहित उसकी बाते सुनता रहा और दोनो बाईक पर बैठकर अपने घर की तरफ चल दिए.
रास्ते मे राजू की बाईक का टायर फट गया, और आस पास कोई भी दुकान नही थी, इसलिए उन्होने बाईक वहीं सड़क के किनारे पर लगा दी और बस पकड़कर घर की तरफ चल दिए.
बस पूरी भरी हुई थी, रोहित और राजू अंदर पहुँचे और खड़े हो गये,
तभी रोहित और राजू को लड़कियों के हँसने की आवाज़ आई, उन्होने पीछे की तरफ देखा तो चोंक गये, ज्योत्सना और उसकी सहेलियाँ उसी बस मे बैठी हुई थी..और शायद वो ये सोचकर की रोहित और राजू उनका पीछा करते हुए बस मे चढ़ गये है, वो सब ख़ुसर-फुसर करके हंस रही थी..
तभी अगले स्टॅंड से 4-5 गुंडे टाइप के लड़के बस मे चढ़ गये..जिन्हे देखते ही राजू ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और रोहित का हाथ दबा कर फुसफुसाया “अबे ..ये साले यहाँ क्या कर रहे है..मामू गेंग के लड़के है ये..उधर मत देखना..”
रोहित को पता था की मामू गेंग के लोग हमेशा उनके गेंग के लोगो को मारने का प्लान बनाते रहते है, पर कभी उनसे पाला नही पड़ा था उसका…
तभी मामू गेंग का एक लड़का ज्योत्सना के साथ बैठी हुई मनीषा के साथ जाकर खड़ा हो गया और अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया ..वो ये देखकर रोने लगी..पर उनके हुलिए को देखकर बस मे किसी की भी हिम्मत नही हुई की कोई उन्हे रोके या टोके ..
अपनी सहेली मनीषा की आँखो से निकल रहे आँसुओ को देखकर ज्योत्सना से रहा नही गया और वो चिल्ला पड़ी “ये क्या बददतमीज़ी है…छोड़ो इसका हाथ..”
“इसका छोडू तो तुम्हारा पकडू क्या..हाँ …बोल…” वो भद्दे ढंग से उसकी तरफ देखकर हँसने लगा..
ज्योत्सना का चेहरा गुस्से से लाल हो गया..उसका हाथ घूमता हुआ आया और उसने गुंडे के चेहरे पर ज़ोर से तमाचा जड़ दिया..
“साली….मुझे मारा तूने..सुल्तान को मारा..”
उसने मनीषा का हाथ छोड़ दिया और अब ज्योत्सना का हाथ पकड़ लिया..
रोहित तिरच्चि नज़रों से सब देख रहा था..और जब उसने ज्योत्सना का हाथ पकड़ा तो उसका पारा चढ़ गया और जैसे ही गुस्से से भरा वो उनकी तरफ जाने लगा, राजू ने उसका हाथ पकड़ लिया और फुसफुसाया “रहने दो रोहित भाई..बेकार मे उनसे पंगा ना लो..राजन भाई को पता चल गया तो …सोच ले..”
रोहित खून का घूँट पीकर रह गया..
ज्योत्सना की नज़रें रोहित की तरफ ही थी..वो सोच रही थी की शायद उसका आवारा आशिक़ उसको बचाने के लिए आगे आएगा..पर वो नही आया और दूसरी तरफ मुँह घुमा कर खड़ा रहा..ये देखकर उसके मन मे रोहित के लिए नफ़रत सी भर गयी और वो मन ही मन उसको गालियाँ देने लगी..
“देखो..तुम जानते नही…मेरे पापा पुलिस मे है..वो तुम्हे छोड़ेंगे नही..” ज्योत्सना ने अपना हाथ छुड़ाने की असफल कोशिश की और उनसे कहा..
“हा हा…पुलिस मे..चल बुला अपने बाप को…हा हा..हम भी तो देखे की किस पुलिस वाले की हिम्मत है हमसे टकराने की…” सुल्तान अब ज्योत्सना का हाथ पकड़ कर खींचने लगा और अपने साथियों से बोला “चलो रे..इसको अपने अड्डे पर ही ले चलते है..फिर देखेंगे की कौनसा पोलीस वाला आता है इसको बचाने..”
वो सभी उसको घसीट कर बाहर की तरफ ले जाने लगे..तभी पीछे से एक गुर्राती हुई आवाज़ आई “हाथ छोड़ दे लड़की का..”
“कोंन है बे…” सुल्तान चिल्लाया..
रोहित उनकी तरफ घूमा और फिर से वही बात दोहराई “हाथ छोड़ दे लड़की का..वरना..”
“वरना क्या रे..कर क्या लेगा तू..” सुल्तान रोहित का हुलिया देखकर समझ तो गया था की वो कोई गुंडा टाइप का है..पर वो नही जानता था की रोहित, राजन भाई के गेंग का है..राजू अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा कर खड़ा था अभी तक.
रोहित का दाया हाथ घूमता हुआ आया और सुल्तान के कान पर झन्नाटे के साथ पड़ा..
बस मे मौजूद सभी लोग चिल्लाकर इधर उधर भागने लगे..ड्राइवर ने बस एक किनारे पर रोकी और सभी उसमे से उतर का बाहर भागने लगे. और बाहर की तरफ भागते हुए राजू ने चिल्ला कर रोहित से कहा “भाग रोहित..भाग..”
राजू को देखते ही सुल्तान समझ गया की रोहित और राजू साथ है और रोहित भी राजन भी के गेंग का ही है..वो चिल्लाया “अबे ये राजन के लोंडे है…पकड़ो इनको..बचकर ना जाने पाए..”
और पलक झपकते ही सभी के हाथो मे रामपुरी चाकू चमकने लगे..
राजू बाहर की तरफ भाग लिया..अपने दोस्त को अकेला छोड़कर .
तभी रोहित ने अपनी कमर मे छुपा हुआ माउज़र निकाल लिया और सुल्तान की तरफ तान कर फिर से बोला “हाथ छोड़ दे लड़की का सुलतान ..”
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haddi
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Post by haddi on Mar 19, 2018 21:14:50 GMT 5.5
ज्योत्सना भी रोहित के हाथ मे गन देखकर दंग रह गयी .. .
सुल्तान ने अपना हाथ पीछे किया अपनी गन निकालने के लिए..और तभी रोहित ने ट्रिग्गर दबा दिया और सुल्तान के हाथ से उसकी गन नीचे गिर गयी और वो अपने हाथ मे लगी गोली की वजह से निकलता हुआ खून देखकर चिल्लाने लगा…
“आह्ह्ह्ह साले ….तुझे पता है मैं कौन हू..तूने किसपर गोली चलाई है…”
तब तक ज्योत्सना भागकर रोहित के पीछे आकर छिप गयी.
रोहित ने कहा “तू चाहे कोई भी हो..पर इस लड़की की तरफ आँख उठाकर देखने वाले को मैं नही छोडूंगा ..” और इतना कहते ही उसकी गन की अगली गोली सुल्तान की को चीरते हुए दूसरी तरफ से निकल गयी..उसके साथी ये देखकर बदहवास से होकर दूसरी तरफ से नीचे उतर कर भाग गये.
रोहित नीचे उतरा और ज्योत्सना की तरफ देखकर कहा “चलो मैं तुम्हे घर छोड़ दू ..”
वो बेचारी डरी हुई सी उसके साथ चल पड़ी..तभी पेड़ के पीछे छिपा हुआ राजू बाहर आया और रोहित से चिल्ला कर बोला “मैने तुझे मना किया था न ..पंगा नही लेना मामू के गेंग से..पता है वो सुल्तान उसका ख़ास आदमी है...” “ है नही था…मर चूका है वो साला..” रोहित ने राजू की तरफ देखते हुए कहा और ज्योत्सना का हाथ पकड़ कर एक टेक्सी को रोकने का इशारा किया और वो दोनो उसमे बैठकर ज्योत्सना के घर की तरफ चल दिए.रास्ते मे फोन करके ज्योत्सना ने सारी बात अपने पापा को बताई और उन्होने उसको जल्द से जल्द घर आने को कहा.
सुल्तान के मरने की बात सुनकर राजू सुन्न सा रह गया उसने जल्दी से अपना फोन निकाला और राजन भाई को सारी बात बता दी..राजन भी वो सब सुनकर आग बाबूला हो गया..और उसने रोहित को फोन मिलाया..रोहित टेक्सी मे ज्योत्सना के साथ था, उसने जब देखा की राजन भाई का फोन आ रहा है तो वो समझ गया की राजू ने उन्हे सब बता दिया है..इसलिए उसने उनका फोन कट कर दिया..
आज तक ऐसा नही हुआ था की उसने राजन भाई का फोन कट किया हो..उसने अपने आदमियों को हुक़म दिया की रोहित को जिंदा या मुर्दा उसके सामने लाया जाए…और दूसरी तरफ मामू को जब ये सब पता चला तो वो भी भड़क गया..उसने भी अपने सभी साथियों को तुरंत ही राजन गेंग के लड़को को मारने और ख़ासकर रोहित को मारने के लिए भेज दिया..
और उधर ज्योत्सना और रोहित जब उसके घर पहुँचे तो घर के बाहर पोलीस की गाड़ियाँ देखकर और बाहर लगी हुई नेम प्लेट देखकर रोहित चोंक गया..ए. सी. पी. राजशेखर..यानी ज्योत्सना सच बोल रही थी..उसके पापा सच मे पुलिस मे थे..
वो अंदर जाने से घबरा रहा था..पर ज्योत्सना ने जिद की और उसका हाथ पकड़कर वो उसे अंदर ले आई..
अंदर ज्योत्सना के पापा यानी ए. सी. पी.साहब और उनकी पत्नी और साथ मे पोलीस के 4 ऑफीसर भी बैठे हुए थे..
“तुम ठीक तो हो ना बेटी..कुछ हुआ तो नही तुम्हे..” ए. सी. पी. और उनकी पत्नी ने लगभग एक साथ सवालो की झड़ी सी लगा दी..
“मैं ठीक हू पापा..और इन्होने मुझे उन गुंडों से बचाया है…” ज्योत्सना ने रोहित की तरफ इशारा किया..
तभी काफ़ी देर से एक ऑफीसर जो रोहित को घूरे जा रहा था , शायद उसको पहचान-ने की कोशिश कर रहा था, वो ए. सी. पी.साहब के पास आया और उनके कान मे फुसफुसाया..
ए. सी. पी. ने अपनी पत्नी और ज्योत्सना को अंदर जाने को कहा और वो सब रोहित को घेर कर खड़े हो गये..
“तो तुम..राजन गेंग के आदमी हो..” ए. सी. पी. ने रोहित की तरफ देखकर कहा..
“जी…हाँ …” वो धीरे से बोला
“और वो लोग कों थे, जिन्होने मेरी बेटी के साथ बद-तमीज़ी करी…”
“वो लोग मामू गेंग के लोग थे…और जिसने आपकी बेटी का हाथ पकड़ा था , मैने उसे मार दिया है..सुल्तान नाम था उसका..” ये कहते हुए उसने अपनी पॉकेट मे रखी हुई गन निकालकर उनके सामने रख दी.
सुल्तान के मारे जाने की बात सुनकर सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगे..वो जानते थे सुल्तान के बारे मे और उसके सर पर लगे इनाम के बारे मे..एक ऑफीसर ने तुरंत उसकी गन को अपने कब्ज़े मे ले लिया..
“तुम्हे मालूम है की तुमने क्या किया है..अब पूरी मुंबई मे खून ख़राबा होगा..तुम दोनो की गेंग वॉर मे कितने लोगो की जान जाएगी, इसका अंदाज़ा भी है तुम्हे..क्यो किया तुमने ऐसा…बोलो..”
“मेरी जगह आप होते तो क्या करते..बोलिए..क्या करते..मैं अपनी आँखो के सामने किसी औरत पर ज़ुल्म होते हुए नही देख सकता..” रोहित ने गंभीर होकर कहा..
वो आगे बोला “मुझे मालूम है की दोनो तरफ के लोग मुझे मारने के लिए निकल चुके होंगे..पर मुझे अपनी कोई फ़िक्र नही है..मुझे खुशी है की मैने आज एक नेक काम किया है..और वैसे भी जिसे मैने मारा है या फिर अब जो लोग मारे जाएँगे उन्हे तो आप लोग भी मारना चाहते हैं, मैने तो आपका काम आसान कर दिया है..”
रोहित ने अपने प्यार वाली बात चालाकी से छुपा ली थी..और उसकी बात सुनकर दरवाजे के पीछे से सबकी बात सुन रही ज्योत्सना का दिल रोहित के लिए प्यार से गदगद हो उठा..
ए. सी. पी. राजशेखर काफ़ी देर तक सोचते रहे और अपने ऑफिसर्स के साथ डिसकस करने के बाद वो रोहित से बोले “देखो रोहित..मैं जानता हू की क़ानून की नजर मे तुमने जो भी किया है वो ग़लत है..पर तुम्हारे जज़्बे को देखकर हमे ये एहसास हो गया है की तुम बंदे नेक हो, पर ग़लत हाथों मे पड़ चुके हो..इसलिए मैं तुम्हे एक मौका देना चाहता हू..अगर तुम चाहो तो तुम पुलिस फोर्स मे आ जाओ और हमारे साथ मिलकर इस जुर्म की दुनिया का अंत करने मे हमारा साथ दो..तुमने ये सब काफ़ी करीब से देखा है..अगर तुम हमारे साथ आ जाओ तो उन सभी को हम मुंबई से मिटा कर रख देंगे..बोलो..”
रोहित को तो विश्वास ही नही हुआ ..उसने आज तक ऐसा सोचा भी नही था..उसकी आँखो मे खुशी के आँसू आ गये..और उसने हाँ मे सिर हिलाया..
आँसू तो ज्योत्सना की आँखो मे भी आ गये थे..उसका “आशिक़ आवारा” अब पुलिस वाला जो बन चुका था.
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Post by WhiteTiger on Mar 20, 2018 0:01:39 GMT 5.5
Nice story bhai
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Post by princesk on Apr 5, 2018 9:53:24 GMT 5.5
aare wah bhai ...............bahut mast likha hai
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